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Friday, 16 September 2011

आंखें

हर ऋतु में , हर मौसम में

हर लम्हे , हर इक पल में

कुछ जलता सा रहता है

मेरे और उसके मन में

मेरे मन में जलते हैं

कुछ वादे और कुछ सपने

कुछ टूट चुकी जो कसमें ,

कुछ दकयानूसी रस्में,

कुछ लम्हे प्यार भरे,

कई दिन तकरार भरे,

कुछ बोल इकरार भरे

वो सवाल, जवाब खरे

बस जलते ही रहते हैं ................

कुछ उसके मन में भी था  जो हर दम सुलग रहा था

कुछ रोज़ तलक उन आँखों का भी रंग तो सुर्ख रहा था

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