Sunabhya
बेसबब उसने कुछ ग़ज़लो की फरमाइश करदी || बेधड़क हमने भी ज़ख्मो की नुमाइश करदी ||
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Wednesday 30 November 2011
गिद्धों का शहर
कुछ हाथों से नोचते हैं
कुछ बातों से नोचते है
हैं शर्म जिनके पास कुछ
वो आँखों से नोचते हैं
गिद्धों का शहर है ये
"बेटी" ज़रा संभल के |
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