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Wednesday, 30 November 2011

गिद्धों का शहर

कुछ हाथों से नोचते हैं
कुछ बातों से नोचते है
हैं शर्म जिनके पास कुछ
वो आँखों से नोचते हैं
गिद्धों का शहर है ये
"बेटी" ज़रा संभल के |

1 comment:

  1. हकीकत ,,आज के समाज की,,चाँद पन्तियों में समां दी आपने

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